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अपराजिता स्तोत्र

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स्तोत्र करने की विधी          इस स्तोत्र का पाठ करने के लिये सर्वप्रथम विनियोग करे.         इस स्तोत्र को निरन्तर एक महीने तक प्रतिदिन तीनो काल जपने से कार्य सफल होता है |          या इस स्तोत्र का १२०० पाठ का अनुष्ठान करे | प्रतिदिन इस स्तोत्र का १२० पाठ करे | जो दश दिन में समाप्त हो जायेगा पश्चात् प्रतिदिन तीन पाठ करे |  खासकर रात्रि के १० बजे से लेकर १ बजे तक इस का पाठ करना चाहिए | माँ दुर्गा की मूर्ति के आगे या श्रीयंत्र के आगे एक घी का दीपक प्रज्वलित करे और पाठ का आरम्भ करे |  || अपराजिता स्तोत्र ||  विनियोगः ॐ अस्या: वैष्णव्याः पराया: अजिताया: महाविद्यायाः वामदेव-बृहस्पति-मार्कण्डेया ऋषयः | गायत्र्युष्णिगनुष्टुब्बृहति छन्दांसि | लक्ष्मी नृसिंहो देवता | ॐ क्लीं श्रीं ह्रीं बीजं हुं शक्तिः | सकलकामना सिद्ध्यर्थं अपराजित विद्यामन्त्र पाठे विनियोगः |  इस पाठ के वामदेव,बृहस्पति,मार्कण्डेय ऋषि है,गायत्री अनुष्टुप बृहति छन्द है,  लक्ष्मी नरसिम्हा ( नृसिंह ) देवता है,क्लीं,श्रीं,ह्रीं,हुं शक्ति है, और सकलकामना सिद्धि अर्थ के लिये इसका पाठ करने का विनियोग है |  ॐ न

श्री दुर्गा चालीसा एवं दुर्गा चालीसा पाठ से मिलने वाले लाभ

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श्री दुर्गा चालीसा दुर्गा चालीसा पाठ से मिलने वाले लाभ निम्लिखित हैं:- सर्वशक्तिशाली माता दुर्गा की पूजा आराधना लोग विशेष रूप से अपने सभी दुखों से मुक्ति पाने और जीवन के हर क्षेत्र में माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं। इसके अलावा नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपको निम्न लाभ प्राप्त हो सकते हैं:- नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति को मानसिक तनाव और चिंता से भी मुक्ति मिलती है। दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से आप अपने शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त कर सकते है और साथ ही आपके ऊपर शत्रु पक्ष का प्रभाव कम ही पड़ता है। इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उसे सभी विशेष कार्यों को करने में सफलता प्राप्त होती है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन में बुरी शक्तियों से निजात मिलती है, साथ ही बुरी शक्तियों से परिवार का भी बचाव होता है। इसके नियमित जाप करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाले दुखों से लड़ने की शक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा चाली

दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम

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       ।  दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम।        देवी दुर्गा, भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी का ही स्वरूप है। नवरात्रि में भक्त हर प्रकार की पूजा और विधान से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के जतन करते हैं। लेकिन अगर आप व्यस्तताओं के चलते विधिवत आराधना ना कर सकें तो मात्र 108 नाम के जाप करें। इससे माता प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देती है मां दुर्गा के अनेक नाम हैं। प्रत्येक नाम के पीछे एक कथा और उसका महत्व समाया है। मुख्यतः मां के 108 नाम हैं। नवरात्र में मां दुर्गा के नाम का जाप करने से माता कष्टों को हर लेती हैं।      कहते हैं कि नवरात्र में जो भी मां दुर्गा की उपासना करना है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वैसे तो नवरात्र में माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन मां दुर्गा के रूप अनेक हैं।  देश के कोने-कोने में मां दुर्गा के अनेक रूपों के मंदिर स्थापित हैं। नवरात्र में कुछ भक्त जहां कठिन तपस्या करते हैं तो कुछ लोग भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण दुर्गा पाठ भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनको आराधना का समय ही नहीं मिल पाताहै।                जानकारो का कहन