कार्तिक मास व्रत कथा
कार्तिक मास की कथा | वैसे तो हिन्दू वैदिक पंचांग में बारह माह होते हैं किन्तु उन सभी में कार्तिक मास का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास में हम जो भी दान – पुण्य करते हैं उसका कई गुना लाभ हमें भविष्य में मिलता है। कार्तिक माह को बहुत से लोग उत्तम माह के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि यह सभी माह में सर्वोत्तम है। यदि आपका कोई विशेष कार्य लंबे समय से अटकता चला आ रहा हो तथा उसमें अनेक प्रकार की बढ़ाएँ उत्पन्न हो रही हों तो आपको कार्तिक माह के अंतर्गत नियमित रूप से नदी के तट पर दीपदान करना चाहिए। कार्तिक माह में किसी भी नदी में स्नान करने का भी बहुत अधिक महत्व होता है। साथ ही बहुत से लोग कार्तिक माह में व्रत व उपवास भी करते हैं। मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत में व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है। अतः यदि आप कार्तिक मास का पूर्ण लाभ उठाना चाहते हैं, तो यहां दी हुए कार्तिक मास की कथा का पाठ अवश्य करें। कार्तिक मास की कथा किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी और वह कार्तिक का व्रत रखा करती थी। उसके व्रत खोलने के समय कृष्ण भगवान आते और एक कटोरा खिचड़ी का