सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र
सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र आकारब्रह्मरूपेण ओंकारं विष्णुमव्ययम् । सिद्धिलक्ष्मि! परालक्ष्मि! लक्ष्यलक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ याः श्रीः पद्वने कदम्बशिखरे राजगृहे कुंजरे श्वेते चाश्वयुते वृषे च युगले यज्ञे च यूपस्थिते । शंखे देवकुले नरेन्द्रभवने गंगातटे गोकुले या श्रीस्तिष्ठति सर्वदा मम गृहे भूयात् सदा निश्चला ॥ या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी गम्भीरावर्तनाभिः स्तनभरनमिता शुद्धवस्त्रोत्तरीया । लक्ष्मिर्दिव्यैर्गजेन्द्रैर्मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भै- र्नित्यं सा पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता ॥ ॥ इति सिद्धिलक्ष्मीस्तुतिः समाप्ता ॥ लक्ष्मी जी की आरती ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता ॐ जय लक्ष्मी माता-2 उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॐ जय लक्ष्मी माता-2 दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॐ जय लक्ष्मी माता-2 तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता