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Showing posts from May 15, 2022

कलियुग का खेल!!!!!!

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कलियुग का खेल!!!!!! जैसे द्वार की देहरी पर रखा दीपक कमरे में और कमरे के बाहर भी प्रकाश फैला देता है, वैसे ही यदि तुम अपने बाहर और भीतर प्रकाश चाहते हो तो जीभ की देहरी पर राम-नाम का मणिद्वीप रख दो । पूर्वकाल में एक राम-नामी संत हुए । वे अपने सत्संग में लोगों से कहते— राम जपु, राम जपु, राम जपु बावरे । घोर भव-नीर-निधि नाम निजु नाव, रे ।। (विनयपत्रिका ६६) तुम राजा राम का नाम जपो; क्योंकि यही निर्बल का बल है, असहाय का मित्र है, अभागे का भाग्य है, अंधे की लाठी है, पंगु का हाथ-पांव है, निराधार का आधार और भूखे का मां-बाप है । इस कलिकाल में राम-नाम ही मनुष्य का सच्चा साथी और हाथ पकड़ने वाला गुरु है । यही ‘तारक ब्रह्म’ है— कलिजुग केवल हरि गुन गाहा । गावत नर पावहिं भव थाहा ।। कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना । एक अधार राम गुन गाना ।। (राचमा ७।१०३।४-५) एक दिन उस संत के पास कलियुग ब्राह्मण-वेश में पधारे । कलिपुरुष ने संत को अपना परिचय देकर आदेश दिया कि—‘तुम सत्संग करते हो, उसमें लोगों से आत्मा-परमात्मा की चर्चा करते हो । तुम राम-नाम जप करने पर बल देते हो । इससे लोगों का मनोबल बढ़ता है । भगवन्

वेदों में जब भाट बन कर की राजा राम की स्तुति!!!!!!!

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वेदों में जब भाट बन कर की राजा राम की स्तुति!!!!!!! भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान की आराधना, स्तुति करना आवश्यक है । भगवत्कृपा केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं वरन्, देवता, दानव, वेद, ऋषि-मुनि-त्रिलोकी के समस्त जीवों की चाह रही है; क्योंकि यही सुख-शान्ति व सफलता का साधन है । राज्याभिषेक हो जाने पर राजा की स्तुति करने की परम्परा है । जब प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक हो गया, तब वेदों ने सोचा कि अभी-अभी सिंहासन पर बैठे प्रभु श्रीराम का दर्शन करना चाहिए; किन्तु दरबार में इतनी भीड़ है कि श्रीराम तक पहुँच पाना बहुत कठिन है । वेदों को 'भगवान का भाट' कहा गया है । अत: वेदों ने वन्दी (भाट) का वेष धारण कर लिया क्योंकि भाट का काम राजा का यशोगान करना होता है, अत: अब राजा राम तक पहुंचने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता । भिन्न भिन्न अस्तुति करि गए सुर निज निज धाम । बंदी बेष बेद तब आए जहँ श्रीराम ।। प्रभु सर्बग्य कीन्ह अति आदर कृपानिधान । लखेउ न काहूँ मरम कछु लगै करन गुन गान ।। (राचमा ७।१२ ख-ग) वेद जब वन्दी वेष में श्रीराम दरबार में पधारे तो प्रभु श्रीराम के अलावा अन्य कोई उन्हें

सबकुछ ठीक ना चल रहा हो तो करें बजरंग बाण का पाठ!!!!!?

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सबकुछ ठीक ना चल रहा हो तो करें बजरंग बाण का पाठ!!!!!? जीवन में आ रहे प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए 'बजरंग बाण' का जाप किया जाता है असाध्य रोग, शारीरिक कष्ट, मानसिक अशांति, व्यापार में रुकावट होने पर श्रीराम के परमभक्त मंगलमूर्ति मारुति नंदन श्री हनुमान जी की सेवा व पूजा से लाभ मिलता है। श्री हनुमान जी की उपासना के समय बजरंग बाण का विधिपूर्वक श्रद्धाभाव से पाठ करना विशेष फलदायी होता है। मंगलवार या शनिवार के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर हनुमानजी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें तथा बैठने के लिए लाल रंग के आसन का प्रयोग करें। हनुमानजी की उपासना एवं बजरंग बाण के पाठ से पूर्व शुद्ध तिल का तेल भर दें तथा कच्चे लाल रंग में रंगे सूत की पंचमुखी बत्ती बनाकर दीपक में डालकर प्रज्जवलित करें। शुद्ध गूगल की धूनी, धूप, लाल रंग के पुष्प, लाल चंदन या रोली आदि से हनुमानजी की ध्यान मग्न होकर उपासना करते हुए बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। एक ही बैठक में बजरंग बाण का 108 बार पाठ करना ज्यादा लाभ देता है। इसके अलावा हनुमान चालीसा और श्रीरामस्रोत का पठन भी जीवन जातक को कुप्

11 मुखी हनुमान जी की पूजा से मिलते हैं कई लाभ, जानें किस मूर्ति से कौन सी मनोकामना होती है पूरी

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11 मुखी हनुमान जी की पूजा से मिलते हैं कई लाभ, जानें किस मूर्ति से कौन सी मनोकामना होती है पूरी 1. पूर्वमुखी हुनमान जी- पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें। 2. पश्चिममुखी हनुमान जी- पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है। 3. उत्तरामुखी हनुमान जी- उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के

जन्मों का कर्ज*

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*जन्मों का कर्ज*           एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे। धर्म-कर्म में यकीन करते थे। उनके पास जो भी व्यक्ति उधार माँगने आता वे उसे मना नहीं करते थे। सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार माँगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि "भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?"           जो लोग ईमानदार होते वो कहते - "सेठ जी ! हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे।" और कुछ लोग जो ज्यादा चालक व बेईमान होते वे कहते - "सेठ जी ! हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे।" और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते कि "क्या मूर्ख सेठ है ! अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है।" ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था। जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही में लिख लेता।          एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार माँगने पहुँचा। उसे भी मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है। हालांकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजोरी को देखना था। चोर

बिल्ववृक्ष

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बिल्ववृक्ष-- 1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते l 2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है l 3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है l 4. चार, पांच, छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है l  5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है एवं बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। 6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है। 7. बेल वृक्ष को सींचने से पित्र तृप्त होते है। 8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे । 10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी जीव सभी पापों से मुक्त हो जाते है l 11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है। कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के