दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम
। दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम।
देवी दुर्गा, भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी का ही स्वरूप है। नवरात्रि में भक्त हर प्रकार की पूजा और विधान से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के जतन करते हैं। लेकिन अगर आप व्यस्तताओं के चलते विधिवत आराधना ना कर सकें तो मात्र 108 नाम के जाप करें। इससे माता प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देती है
मां दुर्गा के अनेक नाम हैं। प्रत्येक नाम के पीछे एक कथा और उसका महत्व समाया है। मुख्यतः मां के 108 नाम हैं। नवरात्र में मां दुर्गा के नाम का जाप करने से माता कष्टों को हर लेती हैं।
कहते हैं कि नवरात्र में जो भी मां दुर्गा की उपासना करना है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वैसे तो नवरात्र में माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन मां दुर्गा के रूप अनेक हैं।
देश के कोने-कोने में मां दुर्गा के अनेक रूपों के मंदिर स्थापित हैं। नवरात्र में कुछ भक्त जहां कठिन तपस्या करते हैं तो कुछ लोग भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण दुर्गा पाठ भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनको आराधना का समय ही नहीं मिल पाताहै।
जानकारो का कहना है कि अगर व्यस्तता के कारण आराधना का समय नहीं मिल पाता है तो वे मां के 108 नामों का जाप जरूर करें क्योंकि नवरात्र में मां दुर्गा के नाम का जाप करने से माता कष्टों को हर लेती हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार सुबह-शाम 108 नामों का उच्चारण किया जाना चाहिए लेकिन प्रत्येक नाम के उच्चारण में सावधानी रखनी बेहद जरूरी है। किसी भी नाम का उच्चारण गलत नहीं होना चाहिए। अगर मां दुर्गा के 108 नामों के उच्चारण सही ढंग से किया जाता है तो माता रानी की कृपा सदैव बनी रहती है।
मां दुर्गा के 108 नाम
सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया, आद्या, त्रिनेत्रा, शूलधारिणी, पिनाकधारिणी, चित्रा, चंद्रघंटा, महातपा, बुद्धि, अहंकारा, चित्तरूपा, चिता, चिति, सर्वमंत्रमयी, सत्ता, सत्यानंदस्वरुपिणी, अनंता, भाविनी, भव्या, अभव्या, सदागति, शाम्भवी, देवमाता, चिंता, रत्नप्रिया, सर्वविद्या, दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी, अपर्णा, अनेकवर्णा, पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरिधाना, कलमंजरीरंजिनी, अमेयविक्रमा, क्रूरा, सुन्दरी, सुरसुन्दरी, वनदुर्गा, मातंगी, मतंगमुनिपूजिता, ब्राह्मी, माहेश्वरी, एंद्री, कौमारी, वैष्णवी, चामुंडा, वाराही, लक्ष्मी, पुरुषाकृति, विमला, उत्कर्षिनी, ज्ञाना, क्रिया, नित्या, बुद्धिदा, बहुला, बहुलप्रिया, सर्ववाहनवाहना, निशुंभशुंभहननी, महिषासुरमर्दिनी, मधुकैटभहंत्री, चंडमुंडविनाशिनी, सर्वसुरविनाशा, सर्वदानवघातिनी, सर्वशास्त्रमयी, सत्या, सर्वास्त्रधारिनी, अनेकशस्त्रहस्ता, अनेकास्त्रधारिनी, कुमारी, एककन्या, कैशोरी, युवती, यति, अप्रौढ़ा, प्रौढ़ा, वृद्धमाता, बलप्रदा, महोदरी, मुक्तकेशी, घोररूपा, महाबला, अग्निज्वाला, रौद्रमुखी, कालरात्रि, तपस्विनी, नारायणी, भद्रकाली, विष्णुमाया, जलोदरी, शिवदुती, कराली, अनंता, परमेश्वरी, कात्यायनी, सावित्री, प्रत्यक्षा, ब्रह्मावादिनी।
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