Posts

Showing posts with the label श्री गणेश

श्री गणेश चालीसा

Image
:  प्रथम पूज्य की इस आराधना का महत्व, पाठ की विधि और नियम जानें-: श्री गणेश की आराधना करने से घर में खुशहाली, व्यापार में बरकत और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है ।             सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश प्रथम पूजनीय माने जाते हैं। किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य को शुरू करने से पहले विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की आराधना और उनके प्रतीक चिन्हों की पूजा करने विधान है, जिससे सारे कार्य सूख पूर्वक संपन्न हो जाये और उसमें सफलता मिल सके।         गणेश जी को सबसे पहले पूजने का वरदान भगवान शिव द्वारा प्राप्त है। वहीं श्री गणेश को ग्रहों में बुद्ध का अधिपति माने जाने के  गणेश -:सप्ताह में बुधवार के दिन के कारक देव भी माना जाता हैं।          सच्चे मन से श्री गणेश की आराधना करने से घर में खुशहाली, व्यापार में बरकत और  हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। भगवान गणेश मंगलकारी और बुद्धि दाता हैं, जिनकी सवारी मूषक यानि चूहा और प्रिय भोग मोदक (...

स्वस्तिवाचन एवं शांति पाठ

Image
स्वस्तिवाचन कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ करते समय मंगल कामना की जाती है, जिसके हेतु गणपति महाराज और माँ भगवती-अम्बिका का ध्यान किया जाता है।  स्वस्तिक मंत्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। मंत्रोच्चार करते हुए दर्भ से जल के छींटे डाले जाते हैं. यह माना जाता है कि यह जल पारस्परिक क्रोध और वैमनस्य को शांत कर रहा है। स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया ‘स्वस्तिवाचन’ कहलाती है। ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ गृहनिर्माण के समय स्वस्तिक मंत्र बोला जाता है। मकान की नींव में घी और दुग्ध छिड़का जाता था। ऐसा विश्वास है कि इससे गृहस्वामी को दुधारु गाएँ प्राप्त हेती हैं एवं गृहपत्नी वीर पुत्र उत्पन्न करती है। खेत में बीज डालते समय प्रार्थना की जाती है  कि विद्युत् इस अन्न को क्षति न पहुँचाए, अन्न की विपुल उन्नति हो और फसल को कोई कीड़ा न लगे। पशुओं की स...