कर्म का फल

*विष्णु जी की ये कहानी पढोगे तो आपका उद्धार ज़रुर होगा*🌹

कष्टों और संकटो से मुक्ति पाने के लिए विष्णु जी ने मनुष्य के कर्मो को ही महत्ता दी है। उनके अनुसार आपके कर्म ही आपके भविष्य का निर्धारण करते हैं। भाग्य के भरोसे बैठे रहने वाले लोगों का उद्धार होना संभव नहीं है। भाग्य और कर्म को अच्छे से समझने के लिए पुराणों में एक कहानी का उल्लेख मिलता है।
एक बार देवर्षि नारद जी बैकुंठ धाम गए। वहां नारद जी ने श्रीहरि से कहा, "प्रभु! पृथ्वी पर अब आपका प्रभाव कम हो रहा है। धर्म पर चलने वालों को कोई अच्छा फल नहीं प्राप्त हो रहा, जो पाप कर रहे हैं उनका भला हो रहा है।’’ तब श्री विष्णु ने कहा, "ऐसा नहीं है देवर्षि जो भी हो रहा है सब नियति के जरिए हो रहा है।’’ वही उचित है।
नारद जी बोले, "मैंने स्वयं अपनी आंखो से देखा है प्रभु, पापियों को अच्छा फल मिल रहा है और, धर्म के रास्ते पर चलने वाले लोगों को बुरा फल मिल रहा है।’’ विष्णु जी ने कहा, “कोई ऐसी घटना का उल्लेख करो।”
नारद ने कहा अभी मैं एक जंगल से आ रहा हूं। वहां एक गाय दलदल में फंसी हुई थी। कोई उसे बचाने नहीं आ रहा था। तभी एक चोर वहाँ से गुजरा। गाय को फंसा हुआ देखकर उसने गाय को बचाया नहीं, बल्कि उस पर पैर रखकर दलदल लांघकर निकल गया। आगे जाकर चोर को सोने की मोहरों से भरी एक थैली मिली।’’
थोड़ी देर बाद वहां से एक वृद्ध साधु गुजरा। उसने उस गाय को बचाने की पूरी कोशिश की, पूरे शरीर का जोर लगाकर अत्यन्त कठिनाई से उसने गाय की जान बचाई। लेकिन गाय को दलदल से निकालने के बाद वह साधु आगे गया तो एक गड्ढे में गिर गया। प्रभु! बताइए यह कौन सा न्याय है? नारद जी की बात सुनने के बाद प्रभु बोले, जो चोर गाय पर पैर रखकर भाग गया था उसकी किस्मत में तो एक खजाना था लेकिन उसके इस पाप के कारण उसे केवल कुछ मोहरें ही मिलीं। वहीं, उस साधु के भाग्य में मृत्यु लिखी थी। लेकिन गाय को बचाने के कारण उसके पुण्य बढ़ गए और उसकी मृत्यु एक छोटी-सी चोट में बदल गई। इसलिए वह गड्ढे में गिर गया।
इंसान के कर्म से उसका भाग्य तय होता है। सत्कर्मों के प्रभाव से हर प्रकार के दुख, और संकटों से मनुष्य का उद्धार हो सकता है। इंसान को सत्कर्म करते रहना आवश्यक है क्योंकि कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है।
विष्णु जी की बात से नारद जी को मानव जाति के उद्धार का मार्ग पता लग गया।
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*संसार में हमें किसी का सहारा मिल जाना अच्छी बात है, किन्तु किसी का सहारा बन जाना उससे भी* *अच्छी बात है। संसार में  हर कोई दूसरों से तो* *सहारा चाहता है मगर दूसरों को सहारा देना नहीं चाहता।*
                 *सच्ची शान्ति के लिए किसी बेसहारे का सहारा बन जाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप आश्चर्य करेंगे कि जिस आनंद और शांति के लिए हम दर- दर भटके है, जिसके लिए हमने तीर्थों के इतने चक्कर काटे है, आखिर वह आत्मसुख बहुत सस्ते में और आसानी से मिल गया है।*
   *जो व्यक्ति दूसरों को सहारा देता है, उसे अपने लिए सहारा माँगना नहीं पड़ता, परमात्मा स्वतः ही दे देता है।किसी प्यासे को पानी पिलाने का, किसी गिरे हुए को उठाने का और किसी भूले को राह दिखाने का अवसर मिल जाये तो चूकना मत, क्योंकि ऐसा करने से हम बहुत ऋणों से मुक्त हो सकते है ।*

जो मनुष्य गायो के लिए गौचर भूमि छोडता है,
उसे प्रतिदिन सौ से अधिक ब्राह्मण भोजन का पुण्य प्राप्त होता है।।
🙏 *जय श्री कृष्ण*

🌞. यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती = युधिष्ठिर।
🌞रीति, नीति, विद्या, विनय, ये द्वार सुमति के चार । इनको पाता है वही, जिसका हृदय रहे उदार ।।
🎍🌈💥🎪🌷🌴 कर्म योगी 🌴🌷🎪💥🌈
कायेन मनसा बुद्धया केवलैरिन्द्रियैरपि ।
योगिनः कर्म कुर्वन्ति संग त्यक्त्वात्मशुद्धये ॥ (११)
🌹🎷भावार्थ🎷🌹 "कर्म-योगी" निष्काम भाव से शरीर, मन, बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा केवल आत्मा की शुद्धि के लिए ही कर्म करते हैं।
युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम्‌ ।
अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते ॥ (१२)
🎪💥भावार्थ💥🎪 "कर्म-योगी" सभी कर्म के फलों का त्याग करके परम-शान्ति को प्राप्त होता है और जो योग में स्थित नही वह कर्म-फ़ल को भोगने की इच्छा के कारण कर्म-फ़ल में आसक्त होकर बँध जाता है।
दुर्लभ मानुष जनम है, 
देह न बारम्बार ।
तरुवर ज्यों पत्ती झड़े,
 बहुरि न लागे डार ॥
संत कबीर 
यह मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है और यह देह बार-बार नहीं मिलती । जिस तरह पेड़ से पत्ता झड़ जाने के बाद फिर वापस कभी डाल मे नहीं लग सकती । अतः इस दुर्लभ मनुष्य जन्म को पहचानिए और अच्छे कर्मों मे लग जाइए ।
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