महाविद्या #उग्र #तारा #प्रत्यंगिरा #कवचं-

🌹🙏#महाविद्या #उग्र #तारा #प्रत्यंगिरा #कवचं-🌹🙏

शत्रु समूह को विध्वंस करने वाला अति शक्ति शाली महाविद्या उग्र तारा कवचं की प्रशंसा जितनी कि जाए उतनी कम है,इसकी व्याख्या करना सूर्य को दीपक दिखाने के सामान है,जो साधक इसका नित्य पाठ करते हैं,उनके शत्रु स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं,वह कारगर की हवा खाते हैं या नगर छोड़ के चले जाते हैं,वह साधक के सेवक बन जाते हैं,जीवन में आ रही प्रत्येक बाधाओं को नष्ट करने में यह कवच अति सक्षम है।यह कवच तन्त्र बाधा नाशक है,किसी भी तरह की नकारात्मक शक्ति साधक को छू नही सकती।

।। तारा प्रत्य़ञ्गिरा कवचम् ।।

।। ॐ प्रत्य़ञ्गिरायै नमः ।।
ईश्वर उवाच –
ॐ तारायाः स्तम्भिनी देवी मोहिनी क्षोभिनी तथा ।
हस्तिनी भ्रामिनी रौद्री संहारण्यापि तारिणी ।
शक्तयोहष्टौ क्रमादेता शत्रुपक्षे नियोजितः ।
धारिता साधकेन्द्रेण सर्वशत्रु निवारिणी ।
ॐ स्तम्भिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् स्तम्भय स्तम्भय ।
ॐ क्षोभिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् क्षोभय क्षोभय ।
ॐ मोहिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् मोहय मोहय ।
ॐ जृम्भिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् जृम्भय जृम्भय ।
ॐ भ्रामिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् भ्रामय भ्रामय ।
ॐ रौद्री स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् सन्तापय सन्तापय ।
ॐ संहारिणी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् संहारय संहारय ।
ॐ तारिणी स्त्रें स्त्रें सर्व्वपद्भ्यः सर्व्वभूतेभ्यः सर्व्वत्र रक्ष रक्ष मां स्वाहा ।।
य इमां धारयेत् विध्यां त्रिसन्ध्यं वापि यः पठेत् ।
स दुःखं दूरतस्त्यक्त्वा ह्यन्याच्छत्रुन् न संशयः ।
रणे राजकुले दुर्गे महाभये विपत्तिषु ।
विध्या प्रत्य़ञ्गिरा ह्येषा सर्व्वतो रक्षयेन्नरं ।।
अनया विध्या रक्षां कृत्वा यस्तु पठेत् सुधी ।
मन्त्राक्षरमपि ध्यायन् चिन्तयेत् नीलसरस्वतीं ।
अचिरे नैव तस्यासन् करस्था सर्व्वसिद्ध्यः
ॐ ह्रीं उग्रतारायै नीलसरस्वत्यै नमः ।।
इमं स्तवं धीयानो नित्यं धारयेन्नरः ।
सर्व्वतः सुखमाप्नोति सर्व्वत्रजयमाप्नुयात् ।
नक्कापि भयमाप्नोति सर्व्वत्रसुखमाप्नुयात् ।।
इति रूद्रयामले श्रीमदुग्रताराया प्रत्य़ञ्गिरा कवचम् समाप्तम् ।।

नोट-भगवती तारा अति उग्र देवी हैं,साधक को चाहिए कि वो ब्रम्हचर्य व संयम धारण कर इस कवच का पाठ किसी योग्य गुरु के परामर्श के पश्चात करे।
जय माँ तारिणी🙏❤️🙏

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